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देवघर पुलिस हिरासत में मिराज की मौत: पोस्टमार्टम ने खोली क्रूरता की परतें, कड़े और भोंथरे हथियार से पिटाई की पुष्टि, CID जाँच जारी

देवघर। पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत का यह मामला, जो झारखंड के देवघर जिले के पालेजोरी थाना क्षेत्र के दुधानी गांव से सामने आया है, अब एक और सनसनीखेज मोड़ ले चुका है। दो चरणों में हुए पोस्टमार्टम और उससे जुड़ी रिपोर्टों ने शुरुआती लीपापोती की कोशिशों को दरकिनार करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि लगभग 28 वर्षीय मिराज की मौत कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि बर्बरतापूर्वक की गई पिटाई का नतीजा थी। मल्टीपल इंटरनल ऑर्गन इंजरी, यानी शरीर के कई अंदरूनी अंगों में गंभीर चोटें, हेमरेज और शॉक को मौत का कारण बताया गया है। इस खुलासे के बाद देवघर पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत के इस पूरे मामले की जांच अब अपराध अनुसंधान विभाग (CID) के हाथों में है।

 

 

क्या था पूरा मामला और कैसे उठा पर्दा?

यह दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब पालेजोरी थाने की पुलिस ने दुधानी गांव से मिराज अंसारी को किसी मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। इसके कुछ ही समय बाद, संदिग्ध परिस्थितियों में मिराज की मौत की खबर आई, जिसने उसके परिवार और पूरे गांव में कोहराम मचा दिया। परिजनों ने शुरुआत से ही पुलिस पर बेरहमी से मारपीट करने और हत्या करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मिराज को पुलिस ने इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी जान चली गई, जो पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत के इस दुखद प्रकरण का मूल बिंदु है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए और बढ़ते जन आक्रोश के बीच, उपायुक्त (DC) के आदेश पर सबसे पहले अंचलाधिकारी (CO) की निगरानी में मिराज के शव का पंचनामा कराया गया। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई। पंचनामा के दौरान ही मिराज के दोनों घुटनों पर चोट के निशान पाए जाने का उल्लेख किया गया था। मृतक मिराज के भाइयों, अमरुद्दीन अंसारी और मुस्तकीम अंसारी ने पंचनामा में दिए अपने बयान में साफ तौर पर कहा था कि उनके भाई की मौत पुलिस की पिटाई से हुई अंदरूनी चोटों के कारण हुई है।

मेडिकल बोर्ड और पोस्टमार्टम की पहली रिपोर्ट के संकेत

इसके उपरांत, एक विशेष मेडिकल बोर्ड का गठन कर शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इस मेडिकल बोर्ड में डीएसपी डॉ. प्रभात रंजन, डॉ. चितरंजन कुमार पंकज और डॉ. रविकांत प्रकाश जैसे वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे। हालांकि, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने शुरुआती रिपोर्ट को लेकर चुप्पी साध ली थी और इसे गोपनीय बताया जा रहा था। पुलिस अधिकारी भी रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहने की बात कर रहे थे। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के हवाले से जो जानकारी छनकर बाहर आई, उसने अनहोनी की आशंका को और गहरा कर दिया था। सूत्रों ने बताया था कि मृतक मिराज अंसारी के सिर, छाती, फेफड़ों और पेट में गंभीर अंदरूनी चोटें पाई गई हैं, जबकि शरीर पर बाहरी तौर पर चोट के निशान लगभग न के बराबर थे। यह तथ्य अपने आप में किसी गहरी साजिश और क्रूरता की ओर इशारा कर रहा था, जिससे पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत का मामला और भी गंभीर हो गया।

पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट ने किया दूध का दूध, पानी का पानी

सभी अटकलों और आरोपों के बीच जब पोस्टमार्टम की विस्तृत रिपोर्ट सामने आई, तो उसने पूरे मामले की तस्वीर साफ कर दी। रिपोर्ट ने इस बात की अकाट्य रूप से पुष्टि कर दी कि मिराज अंसारी की मौत “मल्टीपल इंटरनल ऑर्गन इंजरी” यानी शरीर के कई अंदरूनी अंगों में लगी गंभीर चोटों की वजह से हुई थी। सबसे भयावह खुलासा यह था कि ये चोटें किसी “कड़े और भोंथरे वस्तु” (Hard and Blunt Object) से बेरहमी से पीटे जाने के कारण आई थीं। रिपोर्ट में मौत का तात्कालिक कारण अत्यधिक रक्तस्राव (Hemorrhage), गहरा सदमा (Shock) और कार्डियो-रेस्पिरेटरी फेलियर (हृदय और श्वसन तंत्र का काम करना बंद कर देना) बताया गया। इस रिपोर्ट ने पुलिस हिरासत में मिराज के साथ हुई अमानवीयता और बर्बरता की कहानी बयां कर दी।

जनाक्रोश, प्रदर्शन और प्रशासन की कार्रवाई

मिराज की हिरासत में मौत और फिर पोस्टमार्टम में हुए खुलासों के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों के साथ मिलकर ग्रामीणों ने पालेजोरी में सड़क जाम कर उग्र प्रदर्शन किया और थाने का घेराव भी किया। इस दौरान गुस्साई भीड़ और पुलिस के बीच झड़प भी हुई, जिसमें डीएसपी समेत चार पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी खबर आई। लोगों का सीधा आरोप था कि पुलिस जानबूझकर सच को दबाने की कोशिश कर रही है और दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है। यह जन आक्रोश पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत के प्रति गहरी संवेदना और न्याय की मांग को दर्शाता था।

मामले की संवेदनशीलता और बढ़ते दबाव को देखते हुए, इस पूरे प्रकरण की जांच राज्य की अपराध अनुसंधान विभाग (CID) को सौंप दी गई। सीआईडी की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया, संबंधित लोगों से पूछताछ की और सबूत इकट्ठा करने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि सीआईडी की जांच के दायरे में पालेजोरी थाने के साथ-साथ सारठ और देवघर के साइबर थाने के कुछ पुलिसकर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। हालांकि, सीआईडी ने अभी तक अपनी अंतिम रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं सौंपी है। इसके अतिरिक्त, इस मामले का अल्पसंख्यक आयोग ने भी स्वतः संज्ञान लिया था और एक पांच सदस्यीय टीम ने मृतक मिराज के गांव का दौरा कर परिजनों से मुलाकात की थी और अपने स्तर पर जानकारी जुटाई थी।

अनसुलझे सवाल और न्याय की गुहार

पुलिस हिरासत में मिराज अंसारी की मौत कई गंभीर सवाल खड़े करती है। आखिर पुलिस हिरासत में ऐसा क्या हुआ कि एक 28 वर्षीय युवक की जान चली गई? किन परिस्थितियों में और किसके आदेश पर मिराज को इतनी बेरहमी से पीटा गया? क्या इस मामले में शामिल सभी दोषी पुलिसकर्मियों की पहचान हो पाएगी और उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा किया जाएगा?

मिराज का परिवार और पूरा समुदाय अब केवल न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। उनकी मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच हो, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई और बेगुनाह पुलिसिया बर्बरता का शिकार न बने। यह घटना एक बार फिर पुलिस व्यवस्था में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की महती आवश्यकता को रेखांकित करती है। जब तक रक्षक ही भक्षक बने रहेंगे, तब तक आम आदमी का कानून और व्यवस्था पर से विश्वास डिगता रहेगा। देखना यह है कि सीआईडी जांच और न्यायिक प्रक्रिया मिराज अंसारी और उसके शोकसंतप्त परिवार को कितना और कब तक न्याय दिला पाती है। यह मामला मानवाधिकारों के संरक्षण और पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर टिप्पणी है, जिसके दूरगामी सबक सीखे जाने चाहिए।